मन में चल रही भावनाओं व विचारों को कम शब्दों व लय में बांध देना ही कविता कहलाता है। मशहूर लेखिका निवेदिता जी ने भी अपने इमोशंस को कुछ इसी प्रकार अपनी पुस्तक “कतरा चाँद का ” में पिरोया है। ज़िंदगी की वास्तविक सच्चाइयों पर आधारित कई कविताएं, इस पुस्तक में शामिल हैं, जिसका अंदाज़ –ए- बयां निवेदिता जी के अनुसार है। इस पुस्तक का प्रकाशन ऑनलाइन गाथा पब्लिकेशन द्वारा किया गया है।
माता-पिता ईश्वर समान होते हैं और इसी बात को सार्थक करते हुए निवेदिता जी ने अपनी पहली कविता उन्हीं को समर्पित की है। निवेदिता जी ने अपनी लगभग सभी कविताओं में सरल भाषा में पूर्ण बात कहने की कोशिश की है। इन कविताओं में प्रभु भक्ति व देश भक्ति रस भी पढ़ने को मिल रहा है। दुख, सुख, प्रेम, संघर्ष आदि को निवेदिता जी ने अपने शब्दों में बड़ी खूबसूरती के साथ बांधा है। युवाओं को सकारात्मकता की ओर प्रेरित करने के लिए भी बहुत सी कविताएं इसमें लिखी गई हैं।
अपनी इस पुस्तक “कतरा चाँद का” के बारे में विस्तार से बताते हुए निवेदिता जी कहती हैं कि “जीवन की आपाधापी में, सबकी सलामती की चाहत में श्वासों का एहसास कभी-कभी बेज़ुबान हो जाता है। तब तन में कुछ अनसुलझे से सवाल जागते हैं और वो जब शब्दों का परिधान धारण कर अजस्र से स्रवित होते हैं, तब कविता का जन्म होता है। यह कृति “कतरा चाँद का” ऐसे ही लम्हों की प्रतिछवि है”।
निवेदिता जी ने अंग्रेज़ी साहित्य में एम.ए किया है साथ ही साथ सितार वादन व उपशास्त्रीय गायन में प्रभाकर की उपाधि हासिल की है। कतरा चाँद का के अलावा निवेदिता जी, “कमी नहीं प्रतिभाओं की”, “कुछ ख़्वाब कुछ ख़्वाहिशें” नामक पुस्तकों की भी लेखिका रह चुकी हैं। उनकी कविताएं, लेख एवं साक्षात्कर समय-समय पर विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में भी प्रकाशित होते रहते हैं। यह पुस्तक “कतरा चाँद का” आप ऑनलाइन गाथा की वेबसाइट www.onlinegatha.com या फिर amazon, flipkart, व shopclues वेबसाइट से भी मँगवा सकते हैं।
पुस्तक- कतरा चाँद का
लेखिका- निवेदिता
प्रकाशन- ऑनलाइन गाथा पब्लिकेशन
मूल्य- मात्र 150 रुपये
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