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बुजुर्गों को फ्री में तीर्थाटन कराएगी दिल्ली सरकार, आईआरसीटीसी से हुआ करार
दिल्ली के बुजुर्गों के लिए अच्छी खबर आई है। दिल्ली सरकार 70 हजार से अधिक दिल्लीवासियों को मुफ्त में तीर्थाटन करवाएगी। इसके लिए दिल्ली सरकार और आईआरसीटीसी के बीच करार भी हो चुका है। दिल्ली सरकार ने इसके लिए 70 ट्रेनों की मांग की है, जिसके लिए शुरुआती पेमेंट भी की जा चुकी है।
बीजेपी हिस्ट्री चेंजर है और देश डेंजर में है : ममता बनर्जी
इस बार ममता बनर्जी शहरों के नाम बदलने को लेकर केंद्र सरकार पर हमलावर हुई हैं। उन्होंने कहा कि, ‘बीजेपी हिस्ट्री चेंजर है, नेम चेंजर है, नोट चेंजर है, इंस्टीट्यूशन चेंजर है, लेकिन गेम चेंजर नहीं है।
किसानों पर विशेष जोर है मध्य प्रदेश भाजपा के घोषणा पत्र में
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने शनिवार को घोषणा पत्र जारी कर दिया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसे दृष्टि पत्र नाम दिया। उन्होंने बताया कि हमारी सरकार राज्य के 17 लाख छोटे किसानों की पूरी फसल खरीदेगी। इसके तहत किसानों की उत्पादित पूरी फसल खरीदी जाएगी। भाजपा ने महिलाओं के लिए अलग से नारी शक्ति संकल्प पत्र भी जारी किया।
हां, मैं झारखंड का दास रघुबर! छत्तीसगढ़िया और झारखंडी साथ-साथ
झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास। नाम ही काफी है। सूबे में पहचान का कोई संकट नहीं। जब तक नेतागीरी से पहले मजदूरी करते थे, तब तक अपना काम निकालने के लिए दूसरों के सामने चिरौरी करते थे, लेकिन किस्मत ने जब पलटी खाई और सत्ता की कुर्सी मिली, पूरा झारखंड साहब के सामने नतमस्तक है।
पल्लवी गोगोई : देर से ही सही, आवाज तो उठाई
‘मी टू’ से तो आप सभी वाकिफ हैं। कहीं-न-कहीं सबका सवाल ‘मी टू’ में आवाज उठाने वाली हर महिला की तरफ उठता है कि जब आवाज उठानी थी, तब तो उठाई नहीं, तो अब क्यों? ...तो इसका जवाब शायद यह हो कि जब तक बर्दाश्त कर सकते थे, किया, लेकिन अब हमारी बर्दाश्त करने की लिमिट खत्म हो गई। ऐसी ही एक महिला जर्नलिस्ट हैं, जिन्होंने देर से ही सही, लेकिन ‘मी टू’ से प्रभावित होकर अपनी आवाज को बुलंद किया।
सत्ता के हाथों झूलता ‘काका हाथरसी’ का हाथरस
योगी आदित्यनाथ इन दिनों राज्य के शहरों का नाम बदलने को लेकर चर्चा में हैं। सीएम बनने के बाद वह अब तक तीन शहरों के नाम बदल चुके हैं, और आगे भी कई शहरों का नाम बदले जाने की आशंका है। बदलने वाले नामों की लिस्ट में हाथरस का नमा एक बार फिर से शामिल हो गया है। सवाल यह है कि हास्य कवि काका हाथरसी का शहर हाथरस कब तक सस्ती राजनीति का शिकार होता रहेगा?
अपने ही बुने जाल में उलझ गए उपेंद्र कुशवाहा
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) सुप्रीमो एवं केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा अपने ही बुने सियासी जाल में बुरी तरह उलझते जा रहे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में एनडीए के सहयोगी दल की ओर बिहार की तीन सीटें जीतने वाली रालोसपा को अगले लोकसभा चुनाव में एनडीए की ओर से कोई भाव नहीं दिया जा रहा है। जबकि, उनके धुर विरोधी बिहार के मुख्यमंत्री एवं जदयू सुप्रीमो एनडीए में आंख का तारा बने हुए हैं।