28 फरवरी, 2023 को, नई दिल्ली ने संविधान क्लब ऑफ इंडिया में राजेन विजय बब्बुता , अंजली कपूर धमेजा , नेहा भट्ट सूरी द्वारा आयोजित एक अनोखे कार्यक्रम #अज्ञात OnSearch— पुरस्कार और संगोष्ठी की मेजबानी की।
यह संगोष्ठी, जिसका उद्देश्य गुप्त विज्ञान और अध्ययन के विभिन्न पहलुओं को बढ़ावा देना और चर्चा करना था, को भारत के प्रमुख डिजिटल मार्केटिंग विशेषज्ञ और प्रशिक्षक, “बीइंग टॉपर” के संस्थापक श्री विपिन खुटेल द्वारा समर्थित किया गया था।
कार्यक्रम को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर आयोजित किया गया था, जिसे जानबूझकर दुनिया को यह संदेश देने के लिए चुना गया था कि गुप्त अभ्यास पूरी तरह से वैज्ञानिक आधारित हैं, और यह कि सभी पश्चिमी प्रथाओं की जड़ें भारत के वैदिक काल में हैं, जिन्हें पश्चिम द्वारा विपणन किया गया था, जबकि भारतीय प्रथाओं को जानबूझकर झूठे प्रचार द्वारा घृणा के स्तर तक बदनाम किया गया था, जैसा कि श्री विपिन खुटेल ने बताया।
श्री विपिन खुटैल भारत के एक प्रसिद्ध डिजिटल मार्केटर और उद्यमी हैं। सामाजिक कारणों और सकारात्मक बदलाव को बढ़ावा देने के प्रति जुनून के साथ, उन्होंने उद्योग में एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में खुद को स्थापित किया है। अपनी पहल और कार्यक्रमों के माध्यम से, श्री विपिन खुटैल सामाजिक सुधार की दिशा में काम करने वाले व्यक्तियों को मान्यता और उत्सव के अवसर बनाना जारी रखते हैं।
भारत का संविधान सभागार तालियों से गूँझ उठा जब एक युवा नेता विपिन खुटेल ने सनातन के पक्ष में हूंकार भरी
“शास्त्रों की शक्तियों पर खोज- अनुसंधान का,
अज्ञात on Search एक विषय है विज्ञान का।
भारतीय ज्ञान-विज्ञान को बदनाम यूँ किया गया, अंधविश्वास, पाखंड, कभी रहस्य नाम दिया गया।
ज्योतिष, अंक शास्त्र, ये सब भारतीय विधाएं हैं,
विज्ञान का अति प्रखर रूप, ये अपने में समाए हैं।
जरूरत है बस, इन्हें फिर से जगाने की,
भारतीय यह ज्ञान, सारी दुनिया में फैलाने की।
आ गया अब समय, प्राचीन ज्ञान को जगाने का, शास्त्रों की अद्भुत शक्तियों से दुनिया को हिलाने का।”
इन शब्दों के साथ श्री विपिन खुटेल के उस एतिहासिक भाषड़ की सुरुआत हुई आइए पढ़ते सम्पूर्ण भाषड़ जिसने युवा पीढ़ी को नयी दिशा दी
उन्होंने कहा : “ मैं, विपिन कुटैल, फाउंडर- बीइंग टॉपर इंस्टिट्यूट, आज कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम, अज्ञानOnSearch-23 में आप सभी गरिमामय एवं गणमान्य अतिथियों का स्वागत करता हूं तथा आप सभी आदरणीयों को यह आश्वस्त करता हूं कि आज का यह कार्यक्रम एक अति विशेष कार्यक्रम होने जा रहा है। आज के इस कार्यक्रम की दर्शक-दीर्घा, कोई आम दर्शक दीर्घा नहीं है। आज, यहाँ सभी अति विशिष्ट व्यक्तित्व इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पधारे हैं। बेहद नामी-गिरामी, उच्च पदों पर आसीन, विलक्षण प्रतिभाएं आज हमारे साथ इस कार्यक्रम का हिस्सा हैं, इसके लिए हम सब स्वयं को गौरवांवित महसूस करते हुए एक बार सभी की विशेष उपस्थिति के लिए करतल ध्वनि से स्वागत करते हैं।
इस कार्यक्रम के शीर्षक में हमने हिंदी को अंग्रेजी से पहले वरीयता दी है, इसके पीछे भी यह विशेष कारण है कि आज का यह कार्यक्रम देश-गर्व का एक कार्यक्रम बन सके। आज के इस विशेष कार्यक्रम में हम जानेंगे कि भारतीय शास्त्रों में छिपे गूढ़ ज्ञान-विज्ञान को पाश्चात्य सभ्यता का अनुकरण करने वालों ने किस प्रकार पाखंड व अंधविश्वास का नाम देकर दरकिनार कर दिया और किस प्रकार वैज्ञानिकता एवं विज्ञान के प्रचार-प्रसार का सारा श्रेय, पश्चिमी देशों ने हमसे छीन लिया। भारत, एक ऐसा देश जो सदा से ही विश्वगुरु कहलाता आया है, एक ऐसा देश जहां सभ्यता सबसे पहले पनपी, एक ऐसा देश जहां रामायण और महाभारत काल में भी विज्ञान अपने सर्वोत्तम शिखर पर था और इस बात के बहुत से साक्ष्य और सबूत हमें आज भी पुरातत्व-विभाग के माध्यम से मिलते रहते हैं। ऐसे में भारत के शास्त्रों में वर्णित गूढ़ ज्ञान-विज्ञान के गहन विषयों जैसे कि ज्योतिष, अंक शास्त्र, नाड़ी विज्ञान, रहस्य शास्त्र आदि को हम भला किस प्रकार पाखंड का दर्जा दे सकते हैं ??? जबकि यह स्वयं में विज्ञान का चरम रूप हैं। यह भारतीय वैज्ञानिकों की प्रकांडता, उच्चकोटि की उनकी दूरदर्शिता व विलक्षण प्रतिभा का प्रतीक ही है कि भारतीय ज्योतिष विज्ञान एक बालक के जन्म के समय पर या उससे भी कहीं पहले, उसके भावी जीवन में होने वाली समस्त महत्वपूर्ण घटनाओं को पूरे विस्तार के साथ वर्णित करने की क्षमता रखता है, यह विज्ञान का सर्वोत्तम रूप नहीं तो और क्या है? दक्षिण भारत में प्रचलित नाड़ी ज्योतिष विज्ञान केवल किसी व्यक्ति के अंगूठे के चिह्न भर के माध्यम से उसके जीवन से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण घटनाओं का लेखा-जोखा ज्यों का त्यों प्रस्तुत कर देता है, यह भारतीय विज्ञान का अद्भुत रूप नहीं तो और क्या है? पाश्चात्य देशों का विज्ञान यहाँ तक अभी पहुंच ही नहीं पाया है और जिसे वे समझ नहीं पाते, उसे वे पाखंड का नाम दे देते हैं।
तो आज का यह कार्यक्रम इसी शोध की श्रृंखला में एक कदम है ताकि हम भारतीय शास्त्रों में वर्णित ज्ञान- विज्ञान को पूरे विश्व में स्थापित कर सकें और आज ‘राष्ट्रीय विज्ञान दिवस’ पर पूरे विश्व को एक संदेश दे सकें कि भारत बाकी सभी क्षेत्रों की तरह विज्ञान के क्षेत्र में भी दुनिया का एक अग्रणी देश तबसे है, जब दुनिया के बाकी देशों में विज्ञान का सूर्योदय हुआ भी नहीं था।
तो आप सभी से मेरा अनुरोध है कि आज के इस विशेष कार्यक्रम को और अधिक विशेष बनाने के लिए हम सब इस कार्यक्रम एवं विषय की गंभीरता को समझते हुए ही अपने आख्यान यहाँ प्रस्तुत करें और साथ ही यह भी ध्यान रखें कि आज हम सभी के सामने सामान्य दर्शक नहीं हैं, हम सभी को सुनने के लिए सभी बेहद विशिष्ट व्यक्तित्व आज यहां हमारे सामने मौजूद हैं। तो आइए इस ख़ास कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हैं- “
संगोष्ठी में कई गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया, जिनमें श्री राज कुमार गोयल, आत्मनिर्भर भारत फाउंडेशन के मुख्य संरक्षक, सुश्री सुनीता दुग्गल लोकसभा सांसद (सीरसा), श्री प्रदीप गांधी पूर्व सांसद, छत्तीसगढ़ शामिल हैं। इस कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध ज्योतिषी और अभिनेता डॉ. सुदीप कोचर, हिंदू विद्वान ज्योतिषी के रूप में मीडिया चैनलों के साथ काम करने वाली प्रियंका टंडन, न्यूज़ नेशन, इंडिया न्यूज़, ज़ी हिंदुस्तान, गायन सनसनी श्री शंकर सहनी, सेलिब्रिटी ब्यूटी पेजेंट कोच और विश्व रिकॉर्ड धारक लेफ्टिनेंट रीता गंगवानी, और पूरे भारत के कई महान ज्योतिषियों, हीलरों, अंकशास्त्रियों और टैरो कार्ड रीडर्स ने भाग लिया।