वैसे तो जज़्बात और भावनाओं की कोई भाषा नहीं होती मगर फिर भी इनका उर्दू ज़ुबां से संबंध कुछ अलग ही है। तभी तो शायर अपने जज़्बात को व्यक्त करने के लिए अक्सर ही इस भाषा का इस्तेमाल करते हैं। शायर मोहम्मद अलीम ख़ाँ नवाब 'लासानी' साहब ने भी कुछ ऐसा ही किया है, अपनी पुस्तक "बुलंदी" के ज़रिए। इस पुस्तक का “बुलंदी” का प्रकाशन ऑनलाइन गाथा प्रकाशक द्वारा किया गया है। नवाब मोहम्मद अलीम ख़ाँ साहब को उनके तकल्लुस 'लासानी' से भी जाना जाता है। लखीमपुर खीरी जिले के इस मशहूर शायर की पुस्तक “बुलंदी” में शायरी के कई रंग पढ़ने को मिलेंगे। शायरी, नज़्मों, गीतों व ग़ज़लों से सजी इस पुस्तक "बुलंदी" के ज़रिए, अलीम जी के दिल में छुपे हुए जज़्बात निकलकर आए हैं।
अपने दिल में छुपे जज़्बातों को शायराना अंदाज़ में ढ़ालने की ये कला, किसी के अंदर ख़ुदा की रहमत से प्राप्त होती है तो किसी को विरासत की देन। अलीम जी को भी ये कला विरासत की देन है। उन्हें लिखने की प्रेरणा अपने मामा से प्राप्त हुई है। बुलंदी नामक इस पुस्तक में 62 रचनाएं 'लासानी' जी द्वारा लिखी गई हैं और आखिरी कृति यानि 63 रचना में उनके मामा की लिखी हुई कविताएं हैं। उनके मामा द्वारा लिखी गई सभी कविताएं उनकी पुस्तक "वीरों धरती तुम्हें पुकारती" से ली गई हैं जिसे उन्होंने भारत-पाक के युद्ध के समय लिखा था।
उत्तर प्रदेश राज्य के लखीमपुर खीरी जिले के ग्राम सिरदारीपुरवा, हरदासपुर में जन्मे शायर मोहम्मद अलीम ख़ाँ को शायरी की दुनिया में शायर नवाब 'लासानी' के नाम से भी जाना जाता है। अपने मामा जी के साथ-साथ अलीम उर्फ 'लासानी' जी ने अपनी इस पुस्तक में अपने विद्यार्थी जीवन के गुरु श्री सत्यधर शुक्ल जी के प्रति भी आभार प्रकट किया है, जिन्होंने उन्हें हिंदी कविता की मूल आत्मा से परिचित कराया। 'लासानी' जी की शिक्षा राजकीय इंटर कॉलेज, लखीमपुर खीरी से पूरी हुई है।
'लासानी' जी की रचनाओं में भक्ति रस व देश-भक्ति रस भी देखने को मिल रहा है। वतन के लिए उनके दिल में छुपी मोहब्बत को उनकी कविताओं में बखूबी देखा जा सकता है। इसके अलावा उनकी ग़ज़लों में अवध प्रांत व किसानों के प्रति प्रेम, शिक्षकों के लिए आदर व सम्मान भी पढ़ने को मिल रहा है। जीवन से हारे हुए लोगों के लिए प्रेरणा दायक संदेश को भी अलीम जी ने बहुत ख़ूबसूरत शब्दों में ढाला है। तो वहीं मोहब्बत से भरे एक आशिक के कई जज़्बात व फसानों को भी ग़ज़ल का रूप देकर सबके समक्ष पेश किया है। लासानी जी की 63 रचनाओं से सजी इस पुस्तक बुलंदी का दूसरा भाग भी कुछ दिनों में पेश होगा।
हार्ड कॉपी के अलावा इस पुस्तक "बुलंदी" का ई-बुक वर्ज़न भी उपलब्ध है, जिसे मात्र 50 रुपये में डाउनलोड करके पढ़ा जा सकता है। अलीम जी के शायराना अंदाज़ से मुखातिब होने के लिए आप उनकी ये पुस्तक onlinegatha.com, amazon, flipkart या फिर Shopclues के ज़रिए भी खरीद सकते हैं।
पुस्तक- बुलंदी
लेखक- मोहम्मद अलीम ख़ाँ नवाब 'लासानी
मूल्य- 120 रुपये
प्रकाशक- ऑनलाइन गाथा पब्लिकेशन