(डॉ आकांक्षा) नई दिल्ली,
इंसान की हड्डियां मानव जीवन के लिए जितना उपयोगी होती हैं उतना ही उनकी देखभाल भी जरूरी होता है। इंसानी शरीर में मौजूद हड्डियां आपस में एक दूसरे जोड़ के साथ जुड़ी होती हैं। यह शरीर मे एक चेन के समान होती हैं जिनका संबंध हर कड़ी के साथ जुड़ा होता है। बढ़ती उम्र के साथ इनमे कमजोरी का आभास भी होता है।
एक जमाने में बुढापा या बढ़ती उम्र में इस तरह की दिक्कतें सामने आती थी लेकिन आज के दौर में हर उम्र वर्ग के लोग इसकी भयानकता की चपेट में हैं। जोड़ों में दर्द शरीर के लिए कई तरह की विसंगतियां उत्पन्न कर देता है। आमतौर पर लोग इस तरह की समस्या को या तो नजरअंदाज कर देते हैं या फिर फौरी राहत के लिए एलोपैथी दवाओं का सेवन करना शुरु कर देते हैं जिससे उन्हें कुछ पल की राहत तो मिलती है लेकिन इसके दुष्परिणाम बेहद खतरनाक हो सकते हैं।
जोड़ों में दर्द के कारण और लक्षण
जोड़ों में हो रहे दर्द के पीछे कई कारक हो सकते हैं। मसलन पुरानी चोट, मोच, आनुवंशिकता, मोटापा, हार्मोनल विससंगति या फिर शरीर में यूरिक एसिड जैसे तत्वों की अधिकता के साथ खान पान और दिनचर्या में लगातार परिवर्तन। जोड़ों में उठ रहा दर्द शरीर के कई अंदरूनी अंगों मसलन फेफड़ा,किडनी या फिर दिल को भारी नुकसान पहुंचा सकता है। इसके अलावा आंत में संक्रमण या फिर त्वचा में लाल चकत्ते भी पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। जोड़ दर्द के चलते इंसान की आंखों में संक्रमण का भी खतरा बना रहता है। इन सब लक्षणों के चलते इंसान का जीवन खतरे में पड़ सकता है।
दर्द के लिये जरूरी जांच
यह बेहद जरूरी है कि मरीज इलाज से पहले दर्द के लिए कुछ प्रारंभिक जांच कराए। इस तरह की समस्या के लिए कुछ खून टेस्ट कराया जा सकता है जैसे एच एल ए- बी 27। इस टेस्ट में दर्द की वजह पता चल जाती है। इसके अलावा रोग का कारण जानने के लिए एमआरआई ओर एक्सरे भी करा सकते हैं। जिससे मरीज की समस्या के हिसाब से उसका इलाज किया जा सके।
होम्योपैथी दवा से इलाज
जोड़ों में हो रहे दर्द के लिए उम्र के हिसाब से दवाओं के सेवन की सलाह दी जाती है। पहले तो मरीज की समस्या को समझने के लिए उसी लक्षण को प्रकट करने वाली दवाओं जैसे बलगेरिस आदि के सेवन के लिए कहा जाता है। यदि ऐसी औषधियां काम कर देती हैं तब मरीज को राहत के लिए इसी तरह की अन्य दवाओं के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है। हालांकि दवाएं मर्ज को ठीक करने में समय जरूर लेती हैं लेकिन इससे रोग जड़ से समाप्त हो जाता है।
होम्योपैथी दवाओं का वास्तव में बड़ा असर होता देखा गया है। मैंने अपने अनुभव के हिसाब से हज़ारों रोगियों को दर्द मुक्त किया है लेकिन इसके लिए कुछ परहेज करना पड़ता है। मसलन दवा भोजन के एक घंटे बाद ही सेवन की जानी चाहिए। इसके अलावा खट्टे, अधिक मीठे और लाल मिर्च के अलावा लहसुन और प्याज का सेवन ना के बराबर करने की जरूरत होती है। इन सब उपायों से मरीज धीरे-धीरे ठीक होने लगता है और दवाओं का असर दिखने लगता है।
वास्तव में इंसान खान पान और जीवनशैली को बेहतर बनाकर अपने शरीर में होने वाली इस तरह की व्याधियों से निजात पा सकता है और जीवन को लंबे समय तक बिना पीड़ा के अनुभव के साथ सुखमय तरीके से जी भी सकता है।
जोड़ों के दर्द से छुटकारा पाने के लिए उपाय जाने - https://www.jointspainhealers.com/joints-pain/